Tuesday, 7 October 2008
कवि सम्मेलन में पढ़ी कविता
गत रविवार को सिध्दार्थ सांस्कृतिक परिषद ने बेंगलूर के आरटी नगर में एक कवि सम्मेलन आयोजित किया था। यह संस्था बिहार से बेंगलूर आकर बसे प्रवासी बिहारियों की है। इस कवि सम्मेलन में मैंने एक कविता पढ़ी
कोसी का कहर
किसको पता था, कोसी ऐसा कहर ढाएगी,
इंसान तो डूबेंगे, इंसानियत भी डूब जाएगी।
पता न था उसी की, हवस का शिकार बन जाएगी।
यह तो बस अब, कहावत ही रह जाएगी॥
मगर समझ गई जनता, अब दाल नहीं गल पाएगी।
बददुआओं की कोसी में, कुर्सी भी बह जाएगी।
जब कोई कोसी, इनके घर में घुस जाएगी।
जब कोई कोसी, इनके घर में घुस जाएगी।
बहुत सार्थक रचना सुनाई आपने..
इंसान तो डूबेंगे, इंसानियत भी डूब जाएगी।
"what a truth reflected in this creation, great'
regards
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